बेल के फल से करें पेट की बीमारीओं का इलाज
बेल का पेड़ बड़ा होता है। इसकी पत्तियां तीन दल की होती हैं। उनको बेलपत्र कहते हैं। शिवजी की मूर्ति पर बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। श्रावण के महीने में शैव मतावलम्बी शिवजी की पूजा करते समय बेलपत्रों से ही उनका अभिषेक करते हैं। बेल का पका फल मीठा होता है।
बेल का गूदा बहुत से कामों में प्रयुक्त होता है। इसका गूदा खाने से हर प्रकार के दस्त रुक जाते हैं। बेल का मुरब्बा, शरबत या शिकंजी लेने से भी दस्तों की समाप्ति हो जाती है। बेल की गिरी भी छोटे-मोटे बहुत से रोगों के लिए उपयोगी है। इसके औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं
बहरापन-
20 ग्राम बेल का गूदा, 50 ग्राम बकरी का दूध तथा 10 ग्राम गोमूत्र-तीनों चीजों को सरसों के तेल में पका-छानकर कान में डालें। इससे बहरापन दूर हो जाता है।
मुंह के छाले-
बेल के हरे पत्तों को पानी में उबालकर रोज कुल्ला करने से मुंह के छाले (मुंह आना) दूर हो जाते हैं।
शरीर की दुर्गंध-
बेलपत्र का रस तिली के तेल में मिलाकर मालिश करें। इससे शरीर की दुर्गंध दूर होती है।
शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है बेल
दस्त-
पके हुए बेल का गूदा खाने या उसे पानी में घोलकर पीने से दस्त रुक जाते हैं। बेल का मुरब्बा या चूर्ण भी दस्तों में अकसीर है। बेल का गदा, कोसला, जायफल तथा अफीम-सबको पानी में घोलकर मिला लें। फिर पेट पर लेप करें। इससे खूनी दस्त बंद हो जाते हैं।
दिल की धड़कन–
यदि दिल स्वाभाविक गति से अधिक तेज धड़कता है तो उसे रोग माना जाता है। बेल के पेड़ की थोड़ी-सी छाल को पानी में डालकर अच्छी तरह पकाएं। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर पी जाएं। इस काढ़े से दिल की धड़कन स्वाभाविक हो जाती है।

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